..झीलों की नगरी में देखा -----
झीलों की नगरी में देखानीलकमल है खिला हुआ
झीलों की नगरी में देखानीलकमल है खिला हुआ
भीलों की गगरी में देखा जल मेहनत का मिला हुआ
सडकों की पटरी पर देखा एक नगर है बसा हुआ
सपनों में बचपन को देखा वर्तमान को भुला दिया
चांदी के पलने में देखा माँ ने बचपन सुला दिया
वर्षा में बदली को देखा आसमान को धुला दिया
छोनो को जंगल में देखा बस बचपन को बुला लिया
फूलों को जंगल में देखा बस मुखड़े को खिला दिया
हंसों को पानी में देखा मस्ती का मद पिया हुआ
चांदनी को रजनी में देखा प्यार गाल से छुआ दिया
पंचों उंगली एक मुट्ठ में झोंपड़ा भी किला हुआ
आँख खोल कर जाग को देखा तन मन को कुछ हिला गया .
सडकों की पटरी पर देखा एक नगर है बसा हुआ
सपनों में बचपन को देखा वर्तमान को भुला दिया
चांदी के पलने में देखा माँ ने बचपन सुला दिया
वर्षा में बदली को देखा आसमान को धुला दिया
छोनो को जंगल में देखा बस बचपन को बुला लिया
फूलों को जंगल में देखा बस मुखड़े को खिला दिया
हंसों को पानी में देखा मस्ती का मद पिया हुआ
चांदनी को रजनी में देखा प्यार गाल से छुआ दिया
पंचों उंगली एक मुट्ठ में झोंपड़ा भी किला हुआ
आँख खोल कर जाग को देखा तन मन को कुछ हिला गया .
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर .....
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