शनिवार, 11 अगस्त 2012

मेरी बिटिया .......

आया सावन याद आ गयी मुझको बिटिया तेरी 
कैसे भूले बिटिया मुझको मधुर स्मृति तेरी 


फूले नीम ,निबौली फूली
पिछले सावन मेरी बिटिया अंगना झूला झूली

गली -गली घूमी सज धज कर ,सावन के मेले में
झूम -झूम कर समां गयी थी ,सखियों के रेले में

कोयल कुहके नाचे मोर
मन विहग उड़ा बिटिया की ओर

खीचे -भीचे नेह की डोर
पर हमने ही भेजी बिटिया ,लगा प्रयास और जोर

नैनो में है छवि बिटिया की ,पढने गयी गन वेश में
पति निकेतन ठहरी बिटिया ,मन तो होगा देश में

भीगी धरती, भीगा अम्बर ,भीग गया घर - द्वार
भीगे पल -पल , पुलक -पुलक मन, भीगे बारम्बार

आया झोखा याद का ,चहके मन के तार
कैसी होगी बिटिया मेरी , मन पूछे बार -बार

छोड़ अंदेशा ,भेज संदेशा तुरंत बुलाओ बिटिया को
खीर ,पूरी घेवर लाकर कर जिमाओ पति संग बिटिया को 
..झीलों की नगरी में देखा -----
झीलों की नगरी में देखानीलकमल है खिला हुआ

भीलों की गगरी में देखा जल मेहनत का मिला हुआ
सडकों की पटरी पर देखा एक नगर है बसा हुआ
सपनों में बचपन को देखा वर्तमान को भुला दिया
चांदी के पलने में देखा माँ ने बचपन सुला दिया
वर्षा में बदली को देखा आसमान को धुला दिया
छोनो को जंगल में देखा बस बचपन को बुला लिया
फूलों को जंगल में देखा बस मुखड़े को खिला दिया
हंसों को पानी में देखा मस्ती का मद पिया हुआ
चांदनी को रजनी में देखा प्यार गाल से छुआ दिया
पंचों उंगली एक मुट्ठ में झोंपड़ा भी किला हुआ
आँख खोल कर जाग को देखा तन मन को कुछ हिला गया .
बाल आकांक्षा-------
झिलमिल तारे झिलमिल तारे 
चमके -चमके चंदा प्यारे 
आसमान में रहते सारे 
नहीं आते तुम पास हमारे , 

साथ नही तुम खेलोगे ,
मेरा गुस्सा झेलोगे
दीदी मुझे बताती है ,
जो मैडम उसे पढ़ाती है
दादाजी हैं लगे हुए ,
संग साथी के जुटे हुए
पास तुम्हारे आने को ,
और घमंड मिटने को
दादाजी के साथी कई
पहले भी जाते थे
कभी -कभी वो यान रास्ते में ही खो जाते थे ..
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा ,
दादाजी का कण्ट्रोल होगा
दादाजी के पास है
एक बड़ी सी दूरबीन
दादाजी के साथी देखे
चंदा तारो के सब सीन
मैं पढ़ लिख कर बड़ा बनूँगा
दादाजी की हेल्प करूँगा
नए यंत्र की खोज करूँगा
और एक दिन तुम्हे मिलूँगा
मेरी नन्ही परी 

मेरे घर आई एक नन्ही परी 
सोने की छत पर ,चाँदी के रथ पर 
मै खड़ी,वो आगे बढ़ी ,मै जगी 

देखा ! मेरे अंक से लगी मेरी सुता
मेरी सोनपरी .
नेह नगरी मै लपक गई
गरिमा गगरी छलक गई
सुख सागर में ढलक गई
मै माँ बनी ,ओ !मेरा अंश ,मेरा वंश
मेरी जलपरी,
वो कुनमुनाई कसमसाई
मै नेह निद्रा में पगी न समझ पाई
गर्व भरी ,अकुलाई ,पड़ी दिखलाई
क्षुधातुर पिपासातुर मेरी
नील निर्झरी,
उर उखड़ ममत्व घुमड़ क्षीरधार उमड़
चली मिली मुखद्वार गई उदारागार
हुयी दीप्त तनया तृप्त शांत शनाह शनाह शनिः
स्वप्न लोक चली,
माँ की पुण्य तिथि पर श्रधांजलि -------------

माँ 
ओ जननी ,शून्य विचरनी, चिर स्मरणी,.
हमारा मन प्राण ;करती भान ,व्यथित संतान .

रखती मान ,करती समाधान ,लगा पण -प्राण .
अपनी धन -धान्य ,मौन वान्य , हमारी मान्य .
प्रसन्न वदना , उदार मना ,साहस घना .
स्नेह -वर्षा ,ममत्व दर्शा ,देती बल हर्षा .
जग चकित ,करती प्रभित , ,श्रम्स्थापित
कर स्मरण , प्रभु चरण ,अटल जन्म - मरण ,
पाई अंत गति ,सत्य सती , दे !हमको सुमति ,
ओ हम सबकी माँ
--- मेरी दिवंगत बहना----

ओ मेरी बहना ',सब कुछ कहना,रस्ता देखें मेरे नयना.

तू मुझसे क्यूँ रूठ गयी,कौन देश को लपक गयी.

बहना ढूंढें चहुँ ओर,तू कहाँ है दुबक गयी.

छोने आस निराशा हैं,फिर भी मन में आशा है.

कभी पुनर्मिलन होगा क्या,चिंतें मन में सुत तनया.

सुता धीर अधीरी सी,अनुज की नेह भंभीरी सी.

तू नहीं! असार संसार ,पिता में दीखे माँ का प्यार.

तेरी मधुर स्मृति,नहीं बन सकी विस्मृति.

करती याद तेरे आल्हाद, माँ भी पहुंची तेरे पास.

हमारी तेरी छुपा छुपायी ,अब तक तो तू हाथ न आई .

स्वप्न याद आते बचपन के,चन्द्र शीतला सूर्य तपन के.

तुझे ईश ने दिया विस्थापन,मन मेरे एक शूल चुभन.

अब तू नहीं तेरी बातें हैं, यादों भरी दिवस रातें हैं.

अब नहीं तेरा मिलन होगा, रीता रीता चिंतन होगा.

ओ सुरवास वासिनी,शांत,सुमधुर,सुभाषिनी!

ईश तुझे दे शान्ती,शान्तात्मा!

यही तेरी बहनों की शुभेच्छा शुभकामना!